चंडीगढ़ में आज के ही दिन सुनसान हो गई थीं सड़कें, बाहर निकलने में लगता था डर, देखे कारण
चंडीगढ़ में आज के ही दिन सुनसान हो गई थीं सड़कें, बाहर निकलने में लगता था डर, देखे कारण
चंडीगढ़॥ पिछले दो सालों में काफी कुछ बदला है। शहर ने अपने कई निवासियों को खो दिया लेकिन बहुत कुछ पाया भी। लोगों में कई नई आदतें बनीं हैं। स्वच्छता के प्रति जागरुकता बढ़ी है। ऑनलाइन भुगतान बढ़ा है। अब सरकारी दफ्तरों के बाहर किस्त आदि जमा कराने वाले लोगों की लाइनें कम लगती हैं। हालांकि अब जिंदगी पटरी पर लौट आई है, जो सड़कें दो साल पहले खाली थीं, अब वहां ट्रैफिक जाम लग रहे हैं। आईएसबीटी-43 दो साल पहले सुनसान पड़ा था। अब बसों की भरमार है। प्रशासन ने भी मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को छोड़ बाकी सभी पाबंदियां को खत्म कम दिया है।
-- कोरोना महामारी को देखते हुए दो साल पहले 24 मार्च को चंडीगढ़ में पहली बार कर्फ्यू लगाया गया था। इसी दिन शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च से देश में लॉकडाउन की घोषणा की थी लेकिन चंडीगढ़ में प्रशासक ने एक दिन पहले ही कर्फ्यू का एलान कर दिया था। इसके बाद तो जैसे लोगों की जिंदगी ही बदल गई। महीनों घरों में कैद रहकर कोरोना से बचाव करना पड़ा।
लॉकडाउन के दौरान सड़कें सूनी हो गईं थीं। लोगों को बाहर निकलने में डर लगता था। दो साल बाद भी खतरा बरकरार है लेकिन लोगों के बीच डर लगभग पूरी तरह खत्म हो गया है। पिछले दो सालों में कोरोना की तीन लहरों ने दस्तक दी और अब चौथी लहर का अंदेशा सता रहा है। जैसे-जैसे लहर बढ़ी, वैसे-वैसे लोगों के बीच डर कम हुआ लेकिन दूसरी लहर में शहर ने सबसे ज्यादा मौतें देखीं। तीसरी लहर में कोरोना के आंकड़े बढ़े लेकिन मृत्यु दर पर काबू पाने में प्रशासन के प्रयास सफल रहे।
जीएसटी रेवेन्यू भी पटरी पर आया
कोविड की वजह से सबसे बुरा असर जीएसटी रेवेन्यू पर पड़ा था। लॉकडाउन के बाद से लगातार एक साल तक शहर में जीएसटी संग्रह घटा। मार्च 2021 में जाकर जीएसटी संग्रह में मामूली वृद्धि दर्ज की गई। इसके बाद दूसरी लहर आ गई और फिर से जीएसटी संग्रह में कमी आई। जुलाई 2021 से संग्रह में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। फरवरी 2022 में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले साल फरवरी महीने के मुकाबले फरवरी 2022 में सकल (ग्रॉस) जीएसटी संग्रह में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। मार्च 2020 में कोरोना के आने के बाद यह दूसरी बार है, जब जीएसटी संग्रह में भारी वृद्धि दर्ज की गई है।
गाड़ियों का पंजीकरण 26 फीसदी बढ़ा
कोविड की वजह से कई महीनों तक गाड़ियों के शोरूम बंद रहे। लोग भी केवल जरूरत का सामान खरीदते दिखे। इसकी वजह से वर्ष 2020 में 2019 के मुकाबले 33.49 फीसदी कम गाड़ियां बिकीं। धीरे-धीरे कोरोना का खतरा कम हुआ तो लोगों ने गाड़ियों की खरीदारी शुरू कर दी। वर्ष 2021 में 2020 के मुकाबले 26 फीसदी ज्यादा लोगों ने फोर व्हीलर व टू-व्हीलर खरीदे। वर्ष 2022 में अब तक 8840 गाड़ियां बिकीं हैं।